सेल्यूट है सुनीता जैसी महिला पुलिस को जिसने कई माता पिता के आंसू लुछे – Sunita Antil ki Prernadayak Kahani

सबसे पहले सेल्यूट है सुनीता अंतिल को। सुनीता अंतिल की संघर्ष गाथा लाखों महिलाएं एवम पुरुष पुलिस कर्मियों को प्रेरणा देती रहेगी। सुनीता अंतिल पुलिस में काम कर रही एक ऐसी जांबाज अधिकारी है जो भारत की राजधानी दिल्ली में गुम होने वाले हजारों बच्चों के माता पिता का मसीहा बन कर उनके आंसू पोंछ रही है। आपको भी प्रेरित करेगी ASI सुनीता अंतिल की प्रेरणादायक कहानी (Sunita Antil ki Prernadayak Kahani).

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Sunita Antil ki Prernadayak Kahani

भारत जैसे देश में आजकल हजारों बच्चें गुम होते है। ऐसे माता पिता के लिए काम कर रही सुनीता अंतिल दिल्ली पुलिस में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के तौर पर काम कर रही एक ऐसी जांबाज पुलिस अधिकारी है जिसने संघर्ष करके आज तक कई सारे लोगों की पीड़ा हरी है। गुम हुए बच्चों को मेहनत करके ढूंढ कर उनके माता पिता के लिए मसीहा बनी सुनीता की संघर्ष भरी वास्तविक प्रेरणादायक जीवन कहानी लाखों लोगों को प्रेरित करेगी।

सुनीता अंतिल ने संघर्ष करके इतने सारे बच्चों को ढूंढ निकाला:

सुनीता दिल्ली के समयपुर बादली पुलिस स्टेशन में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के तौर पर फरज बजा रही है। उसने अपनी या अपने परिवार की परवाह किए बिना रात दिन मेहनत और संघर्ष करके सिर्फ 8 महीने में 73 बच्चों को ढूंढ कर उनके माता पिता से मिला कर उनके आंसू पोंछे है।

उसने अपनी करियर में अभी तक 73 बच्चें ढूंढ निकाले है। जिसमें से पंद्रह बच्चें आठ साल से कम उम्र के थे। कुछ बच्चें आठ से सोलह साल की उम्र के थे। सुनीता बताती है की इन सभी केस में एक लड़की भी थी जो अस्थिर दिमाग की थी। वह तीसरी बार घर छोड़ कर चली गई थी। बलात्कार का केस भी था। वह दिमागी अस्थिर बच्ची को रात दो बजे ढूंढ निकाली और उसके माता पिता को सौंपी गई।

सुनीता ऐसे संघर्ष करके बच्चों को ढूंढती है: (Sunita Antil ki Sanghargh Gatha)

आपको पता ही होगा कि इस डिपार्टमेंट में समय निश्चित नहीं होता है। कभी भी ड्यूटी पर जाना पड़ सकता है। सुनीता के लिए भी ऐसा ही है। जब कोई बच्चा गुम होने की रिपोर्ट मिलती है, तब वह तुरंत काम पर लग जाती है। कई बार जो मिला वह खा कर, रात दिन जग कर, मेहनत करके काम करती रहती है। उनका मानना है की सभी ऐसे केस को गंभीरता से लेकर तुरंत एक्शन लेना चाहिए। ऐसे में अगर रिपोर्ट गुमशुदा बच्चे की हो तो उसमें देरी बिल्कुल ही नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ऐसे मामले में परिणाम जल्द से जल्द मिलना चाहिए और बच्चे सुरक्षित भी मिलना चाहिए।

अगर ऐसे मासूम बच्चों के केस में देरी होती है तो शायद गंभीर जानलेवा नुकसान भी हो सकता है। इसीलिए वह सिर्फ सीसीटीवी फुटेज के भरोसे नहीं बैठी रहती। वह उस मासूम के माता पिता को मिलती है, उनसे बातचीत करती है, उन लोगों से जुड़े सब लोगों के मोबाइल फोन की डिटेल निकलवाती है, लोकेशन ढूंढने के लिए मोबाइल सर्विलांस का उपयोग करती है और अपने हौसले को बरकरार रखते हुए लगातार संघर्ष करके परिणाम तक पहुंचती है। ऐसे बाहोसी का काम और ड्यूटी के प्रति निष्ठा की वजह से सुनीता को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला है।

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Sunita Antil ASI Motivational Real Story

सुनीता इनको मानती है अपना आदर्श:

सुनीता अपने साथ ड्यूटी बजा रही सीमा ढाका को अपना आदर्श मानती है। सीमा के साथ कर करते समय सुनीता को कई सारे केस में सफलता मिली है और उनसे बहुत कुछ सीखने को भी मिला है। बता दे की सीमा ढाका भी एक जांबाज पुलिस अधिकारी है और उन्होंने भी गुम हुए 50 बच्चो को ढूंढ कर उनके माता पिता को दिए है। सुनीता की तरह सीमा को भी आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला था। सुनीता जिनको अपना आदर्श मानती है वह सीमा अब समयपुर बादली पुलिस स्टेशन से ट्रांसफर हो कर दिल्ली के शाहबाद पुलिस स्टेशन में अपनी ड्यूटी कर रही है।

सुनीता अंतिल की प्रेरणादायक संघर्ष गाथा:

हरियाणा राज्य के झज्जर जिले का दुलहेडा गांव में सुनीता का जन्म हुआ था। उनका जन्म दिन है 12 अक्टूबर 1984। हर बच्चे कुछ न कुछ बनने से सपने देखते है, वैसे सुनीता भी अपने बचपन से पुलिस बनने का ख्वाब देखती थी।

माना जाता है की बचपन में टीचर, माता पिता, गुरु, कहानी के रोल या अन्य किसी घटना से प्रभावित हो कर बच्चे उन जैसा बनने के सपने देखने लग जाते है, वैसे सुनीता ने अपने बचपन में फूल बने अंगारे हिन्दी मूवी देखी थी। इस मूवी से प्रभावित हो कर सुनीता ने अपना लक्ष्य निर्धार कर लिया की मुझे निष्ठावान पुलिस बन कर अन्याय के सामने लड़ना है। लोगों की समस्याएं दूर करनी है।

जब वह छे महीने की थी तब उनके पिताजी का अवसान हो गया। कमाने वाला व्यक्ति अब इस फानी दुनिया को अलविदा कह देने की वजह से उनके परिवार की स्तिथि बहुत कठिन हो गई थी। उनके परिवार में पांच सदस्य थे। सुनीता, उनकी तीन बहने और माता। बिना कमाई पांच लोगों का गुजारा करना काफी मुश्किल था।

उनकी बहनों को खेत पर काम करना पड़ता था। उनकी बहने स्कूल से आ कर खेत पर काम करती थी। जो खेत में वो काम करते थे वह खेत भी उनकी मालिकी का नही था। दूसरे का खेत किराए पर ले कर उनका परिवार उसमे काम करते थे। एक बहन घर काम में माताजी को मदद करती थी। ऐसे संघर्ष करके अपना गुजारा चल रहा था।

सुनीता की शिक्षा: (Sunita Antil ka Education)

सुनीता ने बारहवीं कक्षा तक अपने गांव की हाई स्कूल में अभ्यास किया। उसके बाद कॉलेज की पढ़ाई के लिए पास के शहर बहादुरगढ़ की कॉलेज में एडमिशन लिया। बहादुरगढ़ की वैश्य कॉलेज से उसने B.Com. की डिग्री प्राप्त की। B.Com. कंपलीट करने के बाद सुनीता ने पुलिस की एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी। बुलंद हौंसला और अपने गोल के प्रति समर्पित होने की वजह से सुनीता ने पुलिस की एग्जाम पास कर ली और 2006 की साल में पुलिस में भर्ती हो गई।

सुनीता की करियर की सफर: (Sunita Antil ki Career Safar)

सुनीता 10 नवंबर 2014 के दिन पुलिस में हेड हेड कांस्टेबल बनी। अपनी निष्ठा से बाद में पुलिस कंट्रोल रूम, पुलिस हेड क्वार्टर में उनको अपॉइंट किया गया। वर्तमान में सुनीता एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में काम कर रही है।

सुनीता अंतिल की मैरिज लाइफ:

सुनीता की शादी हरियाणा के सोनीपत में विकास नाम के लड़के से हुई। उनके पति फार्मासिस्ट है। विकास अपने काम से फ्री हो कर सुनीता की मदद भी करते है। कई बार देर रात को सुनीता को अपनी ड्यूटी पर जाना पड़ता है। ऐसे समय पर सुनीता की टीम के साथ उनके पति विकास भी जाते है। सुनीता और विकास को दो संतान है। घर की जिम्मेदारी के साथ सुनीता अपनी ड्यूटी मानवतावादी नजरिया और संवेदनशील बन कर बखूबी निभा रही है। सलाम है सुनीता जैसी जांबाज पुलिस अधिकारी को जो ड्यूटी फर्स्ट में मानती है। सेल्यूट सुनीता।

अगर पुलिस डिपार्टमेंट में ज्यादा से ज्यादा लड़कियां भर्ती होती है तो उसका माहोल ज्यादा मानवीय और संवेदनशील बनेगा। ऐसी ओर जीरो से हीरो बने व्यक्ति की प्रेरणादाई रियल लाइफ स्टोरी (Motivational Real Story) आपको जरूर से पसंद आएगी। जैसे कि पाकिस्तान का 26 साल का लड़का अपने जुनून से ऐसे बना टॉप सिंगर और झोपड़पट्टी में बड़ी हुई लड़की संघर्ष करके ऐसे पहुंची अमेरिका तक!

उम्मीद रखता हूं कि आपको सुनीता अंतिल की संघर्ष भरी प्रेरणादायक रियल लाइफ स्टोरी (Sunita Antil Prernadayak Kahani) पसंद आई होगी। अगर आपको यह मोटिवेशनल जीरो से हीरो बनी सुनीता की संघर्ष गाथा पसंद आई है, तो अपने दोस्तों और जान पहचान वाले लोगों को जरूर से शेयर करें। अगर सुनीता की तरह दूसरी लड़कियां भी इस प्रेरणादायक रियल लाइफ स्टोरी से प्रेरणा लेकर अपना योगदान दें तो समाज में बहुत बदलाव आ सकता है।

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