आज संघर्ष गाथा पर आप पढ़ने जा रहे हो एक ऐसी संघर्ष और मोटिवेशन से भरी सफल बिज़नेस महिला की कहानी (Successful Business Woman Story) जो शायद आपका भी जिंदगी को देखने का नजरिया बदल सकती है। एक सामान्य गृहिणी माधवी जिसके पति ने कोरोना पेन्डामिक में अपनी नौकरी खो दी और फिर घर के हालत ऐसे बिगड़े की दो वक्त भरपेट खाना मिलना मुश्किल हो गया था।
पति को कहीं नौकरी नहीं मिल रही थी, घर के हालात बद से बतर होते जा रहे थे। बच्चो का पालन-पोषण करना भी मुश्किल हो गया था। चलिए जानते है माधवी की यह संघर्ष से मिली सफलता की कहानी के कैसे माधवी ने सारी मुसीबतो को हराकर अपने परिवार को एक अच्छी जिंदगी दी।
Table of Contents of Successful Business Woman Story:
कोरोना ने छीनी नौकरी:
माधवी एक सामान्य BA पास गृहिणी थी। माधवी का एक छोटा सा परिवार था जिसमें कुल मिलाकर 3 सदस्य थे। माधवी, माधवी का पति धीरज और 5 साल का बेटा छोटू। माधवी के पति धीरज एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते थे और उन्हीं की तन्खा से घर चलता था। माधवी एक समझदार पत्नी की तरह उस छोटी सी तन्खा में से भी कुछ न कुछ बचत कर ही लेती थी।
माधवी और उसका परिवार का जीवन सामान्य गति से चल रहा था। पर एक सुबह सब कुछ बदल गया। कोरोना महामारी के कारण भारत सरकार ने देशभर में लोकडाउन का ऐलान कर दिया। सारे बिज़नेस-धंधे, नौकरी ऑफिस सब एक ही पल में बंध हो गए।
जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी थी उनके लिए तो कुछ महीने घर पे बैठना कोई बड़ी बात नहीं थी, पर माधवी जैसे परिवार जो पूरी तरह से एक निश्चित सैलेरी पर निर्भर थे उनके सर पे तो मानो पहाड़ ही टूट गया!
जैसे तैसे कर माधवी ने बचाएं हुए कुछ पैसो से, तो कुछ जान पहचान और रिश्तेदारों से कर्ज लेकर लोकडाउन में घर चलाया। माधवी ने सोचा था की लॉकडाउन जब ख़त्म होगा और उसके पति की जैसे ही नौकरी फिर से शुरू हो जायगी वैसे एक एक कर सब का कर्जा चूका देगी।
पर कहते है नियति का लिखा कौन जाने! जैसे ही लॉकडाउन ख़त्म हुआ और माधवी का पति धीरज अपनी नौकरी पर लोटा तो वहाँ की खबर सुन मानो उसके पैरो तले से जमीन खिसक गई।
लॉकडाउन के कारण आई मंदी के चलते कंपनी ने बहुत से लोगो को नौकरी से निकाल दिए थे, जिस में से एक धीरज भी था। धीरज ने घर आ कर यह बुरी खबर माधवी को बताई। माधवी सर पकड़ कर बैठ गई।
माधवी के दिमाग में हजारों सवाल और चिंताएं घूमने लगे। जैसे की कर्ज कैसे चुकाएंगे? जब तक दूसरी नौकरी और तन्खा नहीं आ जाती तब तक घर कैसे चलेगा? बेटे छोटू की स्कुल की फीस कैसे भरेंगे और सब से ज्यादा दुखी वह इस बात पर थी की अब उसके पास बस कुछ ही रुपये पड़े है. जब वह भी खत्म हो जाएगा तब क्या होगा?
धीरज ने पत्नी की स्थिति देखते हुए उसे आश्वासन दिया की वह जल्द ही कोई नई नौकरी ढूंढ लेगा और फिर पहले की तरह सब सामान्य हो जायेगा। पर उन्हें क्या पता था की यह तो बस कसौटी की शुरुआत है! आगे बहुत कुछ होना बाकी था।
धीरज सुबह से लेकर शाम तक हाथ में अपनी CV उठाकर एक से दूसरी कंपनी घूमता रहता। पर कोरोना के चलतेआई मंदी के कारण उसे कहीं भी नौकरी नहीं मिल रही थी। दूसरी तरह माधवी भी ग्रेजुएट थी तो उसने सोचा की वह भी कुछ काम कर के पति को सहयोग दे सकती है।
आधा पेट खाकर करना पड़ा गुजारा:
धीरे धीरे दिन हफ्तों में बदल गए। अभी तक न तो धीरज कोई नौकरी ढूंढ पाया था और ना ही माधवी को कोई काम मिला। कुछ बचे हुए पैसे भी अब ख़त्म हो चले थे।
हालत यह थी की अब दोनों पति पत्नी ने आधा पेट खाकर दिन गुजारने शुरू कर दिए थे। धीरज अब इंटरव्यू देने पैदल जाने लगा था। रिश्तेदार और जिन लोगो से ने उधार लिए थे, वो अब घर पर आ कर बुरा-भला सुना जाते थे, ताने देते थे।
इस बीच माधवी यह बात तो समझ गई थी की अगर आप गिर जाते हो तो आपको खुदको ही अपना सहार बन खड़ा होना पड़ता है। लोग आपकी खुशिओ में शामिल होंगे पर दुःख के समय में नौ दो ग्यारह हो जायेगे। ऐसे समय में लोग सलाह देने पहुंच जाते है, पर कोई सहकार नहीं देते।
माधवी का अब नौकरी पर से भी विश्वास उठ चला था। उसे अपना बिज़नेस करना था पर न तो उनके पर पैसे थे और न ही कोई आईडिया। घर में हो रही आर्थिक परेशानियों के कारण धीरज और माधवी में भी अब तनाव बढ़ गया था।
रोज कोई न कोई छोटी मोटी बात पर उनमें बहस हो जाती थी। पर दोनों भली भाती समझते थे की मुसीबत का समय चल रहा है तो दोनों को धैर्य से काम लेना होगा।
ग्रेजुएट पति बन गया वॉचमैन:
इस बीच धीरज के पास एक वॉचमैन की नौकरी के लिए ऑफर आती है। अब एक पढ़ा लिखा ग्रेजुएट जो कल तक सूट और टाई पहनकर AC ऑफिस में बैठता था। आज वह मजबूरी और जिम्मेदारी से हार कर एक मामूली सा वॉचमैन की नौकरी करने लगा।
माधवी को भी यह बात बुरी लगी, पर क्या करे पापी पेट का जो सवाल था। माधवी भी पढ़ी लिखी थी। उसने अपनी ही सोसाइटी की एक साधारण सी स्कूल में एक टीचर की जॉब ज्वाइन कर ली। इस तरह वह भी अब कुछ पैसे कमाने लगी, पर अब भी हालात कुछ सुधरे नहीं थे।
पर असल में उन पर क्या बीत रही थी वह बस वही दोनों जानते थे। रोज कोई न कोई उधार दिए हुए पैसो को वापस लेने आ जाते थे और पैसे न मिलने पर माधवी और धीरज को जलील कर के चले जाते थे।
माधवी रोज इंटरनेट पर अलग अलग बिजनेस आईडिया के बारे में देखती रहती थी, पर उसके पास पैसे कहाँ थे? माना की माधवी के पास पैसे नहीं थे, पर हां उसके पास दो चीजे थी जो उसे दूसरों से अलग बनाती थी। पहला था कुछ करने का होंसला, जो उससे हमेशा यह विश्वास दिलाता था की खुशिओ का सवेरा बहुत जल्द आएगा और दूसरी उसकी शिक्षा जो उसे ज़माने से कंधा मिला कर खड़े होने का शाहश देती है।
जेम्स ने बदली जिंदगी:
इन सब मुसीबतों और संघर्ष के बीच माधवी ने फेसबुक पर एक पोस्ट देखी। जिसमे लिखा था की “बहुत ही कम निवेश से शुरू करे अपने ही शहर में बच्चो का ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट और कमाए महीने के लाखो!!”
यह अड्वर्टाइस थी भारत का जाना-माना जेम्स ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट की। पहले तो माधवी को यह सब फ्रॉड लगा, पर जब उसने एक उम्मीद के साथ जेम्स की ऑफिसियल वेबसाइट विजिट की तब उसे विश्वास आया। माधवी ने जेम्स ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट की वेबसाइट पर माहिती पढ़ी। उनके द्वारा करवाए जा रहे सभी प्रोग्राम्स के बारे में गहराई से जाना और उनको यह काफी दिलचस्प लगा।
माधवी जानती थी की अगर वो अपने शहर में एक ऐसा बच्चो का ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट स्टार्ट करेगी तो अच्छा खासा प्रॉफिट कमा सकती है। उसने यह विचार धीरज को भी बताया।
पर मुख्य समस्या तो अभी भी पैसो की ही थी। साधारण तन्खा से पैसे कुछ बचते नहीं थे। अभी तो कर्जा चुकाना भी बाकी था। माहिती पा कर माधवी का कुछ करने की चाहत ओर बढ़ गई, पर उनके पास इतने पैसे नहीं थे जिससे वह जेम्स से ट्रेनिंग लेकर अपना खुद का ट्रेनिंग सेंटर खोल सके।
माधवी ने यह विचार थोड़ी देर के लिए तो छोड़ दिया, पर उसके मन में बस एक ही आवाज गूंजती रही की “तुजे कुछ करना था ना? तो देख, यही है तेरे लिए बेस्ट ऑपर्चुनिटी। इसे अपना ले और कुछ बड़ा कर जिंदगी में।”
माधवी पूरी रात सो न पाई। उसके मन में एक युद्ध चलता रहा जो खुदसे ही था और आखिर में उसने ठान लिया की वह अपने जीवन को जरूर बदलेगी। उसने सुबह उठा फ्री हो कर जेम्स ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में फ़ोन जोड़ा।
जेम्स की मार्केटिंग टीम से माधवी की बात हुई। उन्होंने माधवी को समझाया की वह कैसे कम निवेश से अपने शहर में खुदका ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट खोल सकती है, इसके लिए कितना इन्वेस्टमेंट चाहिए, ट्रेनिंग कैसे और कहाँ लेनी है, ट्रेनिंग कितने समय की होगी और कैसे ट्रेनिंग सेंटर से हर महीने 50000 से 6 फीगर इनकम कमा सकती है।
माधवी ने अपनी सारी समस्या जेम्स ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट को बताई और माधवी के कॉल को सीधा जेम्स इंस्टिट्यूट के ओनर सुरेश बावरवा सर से जोड़ा गया।
माधवी की बात सुन कर सुरेश सर ने जवाब दिया, “डोंट वरी! अगर आप में जोश है तो हम आपके साथ है। हम आपके जज्बे को सलूट करते है। हमसे जितनी हो सके उतनी मदद करेंगे और ना के बराबर या बिलकुल ही जीरो निवेश से भी सेंटर कैसे शुरू किया जाता है और कैसे पहले महीने से ही इनकम शुरू की जाती है उसके बारे में हम आपको आईडिया देंगे।”
माधवी को अब जेम्स के रूप में एक मेंटोर मिल गए थे जो उन्हें कामयाबी का रास्ता बता सके।
माधवी कमा रही है लाखो:
जेम्स ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के मार्गदर्शन में माधवी बहुत जल्दी सब कुछ सीखती जा रही थी। शायद इसके पीछे उसका कुछ नया कर के जिंदगी बदलने का हौसला भी था। माधवी ने मन लगाकर अपनी ट्रेनिंग पूरी की और अपने शहर में ट्रैनिंग इंस्टीटूट की शुरआत की।
माधवी खूब मन लगाकर मेहनत करने लगी, नए नए वर्कशॉप को ज्यादा से ज्यादा पेरेंट्स तक पहुंचाने लगी। जेम्स के द्वारा दी गई इफेक्टिव ट्रेनिंग और सतत मार्गदर्शन के कारण माधवी ने बच्चो को अच्छे से ओर बेहत बनाया। माधवी की ट्रेनिंग से पेरेंट्स भी बहुत खुश हो गए और माधवी के ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट की भी बहुत सहारना होने लगी।
देखते ही देखते माधवी और धीरज के सिर से सारा कर्ज उतर गया। धीरज भी माधवी को मदद करने लगा और आज धीरज और माधवी मिलकर सफलता पूर्वक अपना ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट चला रहे है। आज समाज और शहर में उनकी अच्छी प्रतिष्ठा है। आज वह एक ऐसा सपनो का जीवन जी रहे है जिसे सामान्य नौकरी के सहारे जीना तो मानो नामुमकिन ही था।
माधवी बताती है की अगर आप भी एक शिक्षित महिला है और अपने पैरो पर खड़े रह कर आपके परिवार के सपनो को हकीकत में बदलना चाहते हो तो आप भी अपने शहर में अपना ट्रैनिंग इंस्टिट्यूट स्टार्ट कर सकते हो। जेम्स ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट आपको मददरूप होगा। आप जेम्स की ऑफिसियल वेबसाइट की विजिट करके https://zemsinstitute.com/ या सीधा 925099933 या 7600363642 पर संपर्क कर के पूरी जानकारी पा सकते हो।
FAQs Related Successful Business Woman Story:
माधवी का पति अब क्या कर रहा है?
माधवी के पति ने अपनी जॉब को अलविदा कह कर आज माधवी के साथ ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट चला रहे है।
क्या माधवी अब स्कूल में जॉब कर रही है?
जी नहीं, सेंटर अच्छे से चलने लग गया होने की वजह से जॉब छोड़ दी है और फुल टाइम ट्रेनिंग सेंटर चला रही है।
क्या सेंटर शुरू करने के लिए किसी डिग्री की जरुरत होती है?
जी हाँ, कम से कम ग्रेजुएशन कम्पलीट होना जरूरी है।
क्या छोटे शहर में यह सेंटर शुरू किया जा सकता है?
जी हाँ, बिलकुल। शहर की मिनिमम जनसँख्या बिस हजार से ज्यादा होनी चाहिए।
क्या कोई लड़का या पुरुष ट्रेनिंग ले कर सेंटर शुरू कर सकता है?
जी हाँ, पर उनको कोई महिला ट्रेनर हायर करना होता है।
क्या घर पर यह सेंटर शुरू हो सकता है?
जी नहीं।
माधवी की महीने की इनकम कितनी है?
माधवी हर महीने एक लाख से भी ज्यादा कमा रही है।
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