गुरु के इस मोटिवेशन से दीपा ने ऐसे करके दिखाया! Deepa Athreya Inspirational Short Story About Life

आज हम जानेंगे जीवन के बारे में प्रेरणादायक लघु कहानी (inspirational short story about life)। आज एक ऐसी महिला Deepa Athreya की संघर्ष गाथा पेश करने जा रहा हूँ जिसकी रियल लाइफ स्टोरी सुन कर आपके संघर्ष बहुत सामान्य कागने लग जायेगा। में संघर्ष भरी कहानी पेश करने जा रहा हूँ लगन की मिसाल दीपा आत्रेय की।

deepa-athreya-inspirational-short-story-about-life
Deepa Athreya Inspirational Short Story About Life

Deepa Athreya Inspirational Short Story About Life

आपने दीपा आत्रेय का नाम तो सुना ही होगा। अगर आपने इस प्रेरणादायी शख्सियत का नाम अपने दिमाग में आज से घर कर जायेगा, क्योंकि दीपा आत्रेय लाखों लोगों की प्रेरणा मूर्ति बन चुकी है और शायद ओर लाखों लोगों की प्रेरणा मूर्ति सालोँ तक बनी रहेगी।

क्या थी दीपा आत्रेय की कमजोरी: (What Was Deepa Athreya Weakness)

दीपा की कमजोरी थी उनका अवास्तविक शरीर। अवास्तविक शरीर वाली दीपा ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है और सफलता के शिखर पर पहुंची है। दीपा आत्रेय के जीवन की यह वास्तविक भव्य कहानी हिन् भावना का शिकार हो चुके व्यक्ति को अवश्य पढ़नी चाहिए। हो सकता है की आपकी हीन भावना भी दूर हो और आप भी जीवन में सफलता पा सकें। आइए जानते हैं असामान्य बॉडी की हिन् भावना से बाहर निकली दीपा आत्रेय की सफलता की रियल कहानी।

Deepa Athreya Kaise Bani Hinbhavna Ka Shikar?

कुदरत भी कमाल का कारीगर है! कई सारे लोगों को बहुत ही सुन्दर ही सुन्दर बनता है, तो बहुत से लोगों को जन्म से ही सुडौल शरीर, सुंदरता और सामान्य शारीरिक स्थिति का उपहार प्रकृति द्वारा नहीं दिया जाता है। कुदरत ने दीपा आत्रेय के साथ भी कुछ ऐसा ही खेल खेला।

कुदरत ने उन्हें जन्म से ही काफी मोटा शरीर दिया था। वह इतनी मोटी थी कि स्कूल के अन्य छात्र उसके बेबी एलिफैंट, बेबी एलिफैंट कहकर उसका मजाक उड़ाते थे। जैसे-जैसे दीपा बड़ी होती गईं, उनका दुख ओर ही बढ़ता गया। दिन-ब-दिन जीवन में उसका विश्वास कम होता गया। उनके मनमे यह भावना घर कर गई कि मैं जीवन में कुछ नहीं कर सकती। मानसिक नकारात्मकता बढ़ी बढ़ती चली।

Kaun Bane Deepa Athreya ka Sahi Path-Darshak:

कहा जाता है अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाल व्यक्ति होता है हमारा गुरीजी। जीवन का सही रह दिखने वाला व्याकृ होता है हमारा गुरूजी। ऐसे ही दीपा के गुरूजी ने दीपको दिखाया जीवन में आगे बढ़ने का सही राह दिखाई। जब दीपा ने नौवीं कक्षा में प्रवेश किया, तो उसके एक शिक्षिक ने उसका गौर से अवलोकन किया और देखा कि दीपा को हर कोई छात्र चिढ़ा रहा है। दूसरे बच्चों द्वारा छेड़े जाने से उसका आत्मविश्वास, उत्साह और जीवन के प्रति जुनून कम हो जाता है। यह सब देखकर उसके शिक्षिक ने दीपा को अपने पास बुलाया और उसे सही समझ दी। इस समय उनके गुरुजी एक सच्चे मार्गदर्शक साबित हुए।

Deepa Atrey Ke Teacher Ne Di Yah Sunahri Salah:

उसके शिक्षिक ने दीपा आत्रेय को सलाह दी कि शारीरिक सुंदरता हो या कुरूपता, मोटापा बाहरी रूप है और जीवन में गौण चीज है। ताकत हमारे भीतर होती है। यदि जीवन में ऊंची उड़ान भरने का सपना है तो उसे अपनी मानसिक शक्ति, दृढ़ संकल्प और लक्ष्य के प्रति समर्पण से हासिल किया जा सकता है। सफल होने के लिए निराश या हताश होने की जरूरत नहीं है। इस शिक्षा ने दीपा आत्रेय के दिल को छू लिया और उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया।

Aise Badha Deepa Athreya Confidence:

किसीकी सलाह या प्रेरणा से हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है और हम जीवन में आगे बढ़ सकते है। उनके शिक्षक की सलाह के बाद उसी ही साल दीपा स्कूल के चुनाव में खड़ी हुईं और जित कर मंत्री बनीं। इस चुनावी जीत ने उनके आत्मविश्वास का द्वार खोल दिया। दीपा का आत्मविश्वास तेजी से बढ़ता ही गया। उसने तब स्नातक किया और एमबीए की पढ़ाई शुरू की।

उसने एमबीए पूरा करने के बाद आरपीजी रिटेल ग्रुप में इंटर्नशिप शुरू की। इंटर्नशिप के दौरान उसे एक लड़के से प्यार हो गया और उसने उन्ही से शादी कर ली। हलाकि यह शादी दीपा के माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को मंजूर नहीं थी। लेकिन दीपा ने किसी की नहीं सुनी और उस लड़के के साथ शादीशुदा जिंदगी बिताने लगीं।

Aisi Thi Deepa Athreya Ke Ghar Ki Halat:

शादी हो जाने के 9 महीने के भीतर ही उसने एक लडके को जन्म दिया। बच्चे की देखभाल के लिए उसे इंटर्नशिप बीच में ही छोड़नी पड़ी। नौकरी छोडने के बाद घर की स्थिति सामान्य थी। केवल उसका पति ही पैसे कमाता था और बच्चे के जन्म से खर्चे भी बढ़ चुके थे। इनकम का कोई अन्य सोर्स नहीं था। कमाने वाला सिर्फ एक उनका पति और खर्चे करने वाले थे तीन। जैसे तैसे करके गुजरा हो रहा था।

दीपा के मन में रोज ऐसा होता विचार आते थे की में घर का काम और बच्चे की परवरिश पता कर घर में अकेली फ्री बैठी रहती हूँ। मुझे अपने पति की आर्थिक रूप से हर संभव मदद करनी चाहिए। ऐसा सोच रही थी उसी दौरान उनके पुराने बॉस की ओर से कॉल आता है और बोस ले लड़के का जन्मदिन सेलिब्रेट करने के लिए आमंत्रण मिला।

इस ऑफर ने दीपा के बिजनेस के लिए द्वार खोल दिया:

उनके बॉस की ओर से बर्थडे पार्टी के लिए आर्डर मिला वह 17 साल पहले की बात थी। आमंत्रण मिलने पर दीपा का उत्साह बढ़ गया। उन्होंने ग्रीनहाउस थीम के साथ बर्थडे पार्टी का इवेंट बहुत ही खूबसूरती से सेलिब्रेट किया। उस दौरान छोटे बच्चों को रिटर्न गिफ्ट के तौर पर कोई एक पौधा जो उन्हें पसंद आए उसे उन्हें वापस दिया गए। इस नई थीम और नए विचार ने दीपा आत्रेय के काम के लिए नया रास्ता खोल दिया।

दीपा आत्रेय का बिजनेस चल पड़ा पर…:

धीरे धीरे दीपा आत्रेय को बर्थडे पार्टी और वर्कशॉप के लिए ऑर्डर मिलने लगे। दीपा का काम चलने लगा और उसने एक पार्टनर ढूंढा और दोनों साथ मिलकर काम करने लगे। इस इवेंट कंपनी अच्छे से चल रही थी। इनकम भी बहुत अच्छी हो रही थी। इस इवेंट कंपनी से दीपा ने अपना खुदका घर, गाड़ी सब ले लिया. मस्त लाइफ  की गाड़ी मस्त चल रही थी, लेकिन दीपा आत्रैया के जीवन में सबसे बड़े संघर्ष का दौर अभी बाकी थी। बड़ी चैलेंज अभी बाकि थी। न जानते थे जानकी नाथ की कल सुबह क्या होगा!

दीपा के हरियाले जीवन में ऐसे आई अचानक हेमंत:

दीपा के हरे भरे जीवन में अचानक हेमंत ऋतु छा गई. किस्मत ने एक बार फिर दीपा को धोखा दिया। इवेंट कंपनी के पार्टनर ने दीपा को बड़ा धोखा दिया। वह इवेंट कंपनी के सारे पैसे लेकर भाग गया। दीपा पर मानो मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा हो। बिजनेस शुरू करने के लिए बैंक से लोन ली थी वह दीपा के नाम पर थी। बैंक का कर्ज चुकाने के लिए सब कुछ बेचना पड़ा। कर्जा चुकाने के लिए उसने घर, गहने, अपनी कार और यहाँ तक की घरका सामान भी बेचना पड़ा। उनका परिवार सड़कों पर आ गया. दीपा के जीवन का असली संघर्ष का दौर अब शुरू हुआ।

ऐसा लगा रहा था की कुदरत मजाक कर रहा है:

सब कुछ बिक जाने के बाद दीपा दिवालिया हो गई। दीपा के पास अपने बेटे को खिलाने या घर में अनाज लाने के लिए भी पैसे नहीं थे। संघर्ष की पराकाष्ठा यह थी कि उस समय दीपा सगर्भा थी। जब कुदरत रूठ जाता है तब कुछ भी बाकी नहीं छोड़ता है। ऐसा लग रहा था जैसे कुदरत दीपा के साथ क्रूर मजाक कर रहा हो। शुरुआत में तो दीपा और उनके पति को लगा कि दुनिया थम सी गई है। बच्चे के सामने देख कर दीपा की आंखे नम सी हो जाती थी। ऐसी हालत में अब करे तो भी क्या करें!

इस समय को याद करते हुए दीपा कहती हैं कि शुरूआती दिनों में लग रहा था की मानो समय ठहर सा गया था। क्या किया जाये वह समज में नहीं आ रहा था। दोनों निरंतर तनाव में जीवन व्यतीत कर रहे थे। लेकिन दीपा ने सोचा कि मैं मानसिक रूप से टूट जाउंगी तो घर के सदस्य टूट जायेंगे। बच्चों का क्या? ऐसा सोचते हुए दीपा को जब वह नवीं कक्षा में थी तब जिस शिक्षक ने सलाह दी थी वह याद आ गई। जिनको अपने लक्ष्य के प्रति द्रढ मनोबल से समर्पित हो जाना है, उनको मार्ग में कोई भी कठिनाई या बाधाएं नहीं रोक पाती।

इस बिज़नेस किया शुरू: (Deepa Athreya Starts News Business)

बहोत दिनों तक दीपा सोचती रही और अचानक उनके  मोटिवेशनल बातें यद् आने से काफी सोच-विचार के बाद दीपा ने मद्रास में वसंतनगर ब्रीज पर गुब्बारे बेचने का फैसला किया और इस व्यवसाय की शुरुआत की। दीपा को पूरा यकीन था की जरूर से इस बिज़नेस में वह कुछ कर के दिखाएगी। आत्मविश्वास के साथ वह गुब्बारे बेचने लगी. दीपा ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया और नई बिज़नेस स्ट्रेटेजी अपनायी।

उसने समुद्र तट पर गुब्बारे बेचते बेचते बच्चों को कहानियां सुनाना शुरू कर दिया। उनकी कहानी बच्चों को सुननी पसंद आने लग गई। उनकी कहानियां इतनी अच्छी होती थीं कि बच्चे दीपा आंटी की कहानी के नाम से उनके आस पास जमा होने लगते थे। इस प्रकार वह फिर से कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास के डैम पर जीवन की डूबती नैया की किनारे पर पंहुचा दी।

दीपा आत्रेय के नए स्टार्टअप की मीडिया में होने लगी चर्चा:

सोशल मीडिया पर दीपा का यह स्टार्टअप की चर्चा होने लगी। कुछ वलगर ने व्लॉग भी बनाया और कुछ अखबारों, टीवी चैनलों ने दीपा की रचनात्मक और एकदम नई इवेंट पर ध्यान देना शुरू कर दिया और कवरेज करना शुरू कर दिया। एक न्यूज़ पेपर में इस लेख को पढ़ने के बाद, मदुराई की एक स्कूल ने दीपा आत्रेय को अपने स्कूल के बच्चे को कहानी सुनाने और प्रेरणादायक स्पीच देने के लिए आमंत्रित किया। दीपा ने स्कूल के बच्चों के उनकी शैली में कहानियां सुनाई और बच्चें बहुत खुस हो गए।

बच्चों को स्कूल में जा कर कहानी सुनाने की इस घटना के बाद दीपा को बहुत आंतरिक खुशी महसूस हुई। स्कूल से वापस आने के बाद दीपा आत्रेय ने सोचा कि बच्चों के लिए ऐसा स्कूल भी खोला जा सकता है, जहां बच्चों को कहानियों के आनंद के अलावा अलग-अलग प्रवृतिया कराई जा सकें और उन्होंने “स्कूल ऑफ सक्सेस” (School of Success) नाम से चार दीवारी में एक छोटी स्कूल की शुरुआत की।

कहा जाता है की सक्सेस सिर्फ अच्छा विचार आने से नहीं मिलती, पर उस विचार को अमल में मुकने से सक्सेस जरूर से मिलती है। ऐसे ही दीपा ने अपने क्रांतिकारी विचार को अपने दिमाग में ही नहीं रखा, पर उस पर काम भी करना शुरू कर दिया।

दीपा आत्रेय की स्कूल ऑफ सक्सेस (School of Success) में आज इतने बच्चें है:

दीपा के इस नए प्रयोग से उनके स्कूल ऑफ सक्सेस (School of Success) में धीरे धीरे बच्चे आने लगे और अन्य स्कूल भी दीपा की संस्था से जुड़ गए। आज दीपा आत्रेय पुरे भारत में करीब 2500 से ज्यादा बच्चों और विभिन्न स्कूलों से जुड़ी हुई हैं। इस क्रांतिकारी विचार और उनके आत्मविश्वास ने दीपा को कामियाबी दिलाई।

दीपा के पति के साथ हुआ हादसा:

कुछ समय पहले दीपा आत्रेय के पति के साथ एक हादसा हुआ। इस हादसे में वे बाल-बाल बच गए, उनको कुछ नहीं हुआ। इस हादसे से दीपा को अहसास हुआ कि अच्छे कर्म ही इंसान के साथ आते हैं और तभी से दीपा  ने बिना फीस के भी बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। यदि आपमें आत्मविश्वास है तो आप किसी भी कठिन समस्या से निकलने का रास्ता खोज सकते हैं। दीपा आत्रे ने इसे साबित किया। उस शिक्षक को भी सलाम जिसने एक लड़की को जीरो से हीरो (Zero to Hero) बनाने में योगदान दिया। ऐसे मोटिवेशनल गुरु को शत शत नमन।

अगर आप या आपके आस पास भी कोई ऐसी व्यक्ति है जो अपने जीवन में बहुत संघर्ष करके सफलता की चोटी पर पहुंचे है, तो उनके बारे में हमें हमारा संपर्क करके जरूर से बताए। हम उनकी रियल लाइफ स्टोरी (Life Inspirational Story) इस साइट पर प्रसिद्ध करेंगे, ताकी अन्य लोगों को प्रेरणा मिल सके और जीवन में आगे बढ़ पाए। इस मोटिवेशनल रियल लाइफ स्टोरी को अपने दोस्तों के साथ भी जरूर से शेयर करना और आपका मंतव्य निचे कमेंट करके जरूर से बताना।

FAQs Relater Deepa Athreya Inspirational Short Story About Life:

दीपा आत्रेय कहाँ की रहने वाली है?

दीपा आत्रेय चेन्नई की रहने वाली है.

Deepa Athtera ki School ka nam kya hai?

Deepa Athreya ki schook ka nam School of Success hai.

This Post Has 3 Comments

Leave a Reply