Prernadayak Kahani in Hindi – IAF यूनिट की 1st लेडी शैलजा धामी

भारत की बेटियां अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं. इसलिए हर सेक्टर में अपनी अलग पहचान बना रही है. यह एक हिन्दी प्रेरणादायक कहानी (Prernadayak Kahani in Hindi) है. अन्वेषण हो या शोध का क्षेत्र हो या हेलीकॉप्टर से आसमान में उड़ना हो या युद्ध के मैदान में खड़ा होना हो. महिलाओं ने हर क्षेत्र में सफलता हासिल की है. आज हम ऐसी ही एक लड़की के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसने वायुसेना में शानदार काम किया है. इनका नाम शालिजा धामी (Shaliza Dhami) है.

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Prernadayak Kahani in Hindi

Shaliza Dhami Biography:

अन्य लड़कियों के लिए एक मील का पत्थर, शालिजा धामी का जन्म 1982 में पंजाब के लुधियाना में शहीद करतार सिंह सराभा के गाँव में हुआ था. शहीद करतार सिंह सराभा गांव का नाम है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव का नाम एक ऐसे वीर योद्धा के नाम पर रखा गया है जो देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए शहीद हो गए है. इस गांव के ज्यादातर युवा सेना में भर्ती हो चुके हैं और सीमा पर देश की रक्षा कर रहे हैं.

देश के लिए कुछ भी करने का जज्बा शालिजा धामी को गांव से ही मिला. जैसा कि कहा जाता है, रंग रंग जैसा होता है. जब से शालिजा को समझ आई, उन्हें लगने लगा कि उन्हें देश के लिए कुछ करना है. शालिजा के माता-पिता सरकारी नौकरी करते थे. पिता हरकेश धामी बिजली बोर्ड में एसडीओ और मां देवकुमारी आपूर्ति विभाग में थीं. उस समय सरकारी कर्मचारियों का वेतनमान उतना अधिक नहीं था जितना अब है.

Shaliza Dhami Education:

शालिजा धामी ने किसी कॉन्वेंट या किसी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में जाने के बजाय गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की. बारहवीं कक्षा के दौरान एनसीसी एयरविंग में जाना शैलजा के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ. उस वक्त हुए ग्लाइडिंग टूर्नामेंट में स्पॉट लैंडिंग में दूसरा स्थान हासिल कर सलीजा ने आसमान और हवा में दोस्ती की. इस मित्र सलिजान ने भी गर्मी के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया.

Shaliza Dhami Career:

बीएससी करने के बाद उनका चयन फ्लाइंग एयरफोर्स में हो गया. शालिजा ने रिटर्न एग्जाम तो क्लियर कर लिया लेकिन फिजिकल एग्जाम में कुछ दिक्कतें आईं. लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि मन दृढ़ हो तो भगवान भी उसका साथ देते हैं, शालिजा ने उसे भी हटा दिया. आखिरकार उन्हें वायुसेना में भर्ती कर लिया गया.

Group Captain Shaliza Dhami:

भारतीय वायु सेना की ग्रुप कैप्टन शालिजा धामी पहली महिला अधिकारी बन गई हैं जिन्हें फ्रंटलाइन कॉम्बैट यूनिट की जिम्मेदारी सौंपी गई है. भारतीय वायुसेना के इतिहास में पहली बार कोई महिला किसी कॉम्बैट यूनिट की कमांडर बनी है. शालिजा भले ही दुनिया के लिए इतिहास रचने वाली भारतीय वायुसेना की अधिकारी हों, लेकिन अपने माता-पिता के लिए वह अब भी एक छोटा सी बब्बल है. शालिजा धामी का उपनाम बब्बल है.

In 2003 She Was Recruited into Air Force:

पुरुष प्रधान क्षेत्र में कदम रखने के बाद उसमें बने रहना और अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिए आगे बढ़ना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है. शालिजा धामी को कई छोटी-बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा. नतीजतन, 2019 में विंग कमांडर शालिजा धामी वायुसेना की फ्लाइंग यूनिट की पहली महिला फ्लाइट कमांडर बनीं. वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा कि धामी को एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ द्वारा दो बार कमीशन दिया गया है.

वह वर्तमान में फ्रंटलाइन कमांड मुख्यालय की संचालन शाखा में कार्यरत हैं. 2003 में भारतीय वायु सेना में शामिल हुए. अधिकारियों ने कहा कि धामी एक योग्य उड़ान प्रशिक्षक हैं और उनके पास 2,800 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव है. फ्लाइंग ब्रांच में स्थायी कमीशन पाने वाली धामी पहली महिला हैं.

Shaliza Dhami Prernadayak Kahani:

सलिजा धामी को 280 से अधिक इकाइयों के साथ काम सौंपा गया है जो विभिन्न प्रकार के हॉवित्जर, बंदूकें और कई लॉन्च रॉकेटों को समायोजित कर लिया.  शालिजा धामी वाकई में देश और दुनिया की लड़कियों के लिए एक प्रेरणा हैं.

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शालिजा धामी के पति का नाम क्या है?

शालिजा धामी का नाम विनीत जोशी है.

शालिजा धामी का उपनाम क्या है?

शालिजा धामी का उपनाम नाम बब्बल है.

शालिजा धामी के कितने बेटे है?

शालिजा धामी के दो बेटे है.

शालिजा का पद क्या है?

वह एक ग्रुप कैप्टन है.

शालिजा की करियर की शुरुआत कब हुई ?

धामी की करियर की शुरुआत 20 दिसंबर 2019 में हुई.

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